कभी भूले ही नहीं तुझे, तो कैसे कहुँ याद तेरी आती है | तेरे जाने का यक़ीन नहीं मुझे, तो कैसे कहुँ याद तेरी आती है | अक्सर जहाँ हम दोस्त मिला करते थे, आज वो तेरी गलियां भी मुझे डराती है | तू वापिस नहीं आएगा ये भरोसा नहीं मुझे, तो कैसे कहुँ यादRead More
Month: December 2018
ऐ दोस्त तू चला गया, अकेले रह गए हम
एक क्लास थी , एक स्कूल था, एक ही तो थे हम, ऐ दोस्त तू चला गया, अकेले रह गए हम | कितने सारे खेल खेले हमने, क्रिकेट, फूटबाल और छुपन-छुपाई, ढूंढ ना पा रहे, आज ऐसे छुपे हो तुम, ऐ दोस्त तू चला गया, अकेले रह गए हम | साथ स्कूल जाना, साथ टूशनRead More